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विधिप्रपा
ससरक्खमक्खियं तह सेडिय-ओसाइमक्खियं चेव । निम्मीस-भीसकद्दममक्खियमिइ पुढविमक्खियं चउहा ॥ ३३ ॥ तत्थ कमेणं पणगं लहुमासो चउलहू य मासलहू। दगमक्खियं पि चउहा पच्छाकम्मं पुरोकम्मं ॥ ३४ ॥ ससिणिद्धं उदउल्लं चउलहु चउलहु य पणग लहुमासा। वणमक्खियं तु दुविहं पत्तेयाणंतभेएणं ॥ ३५॥ उक्कुट-पिट्ठ-कुकुसभेया पत्तेयमक्खियं तिविहं । तिविहे विहु लहुमासो गुरुमासोऽणंतमक्खियए ॥ ३६ ॥ गरहियइयरेहिं अचित्तमक्खियं दुविहमाहु साहुवरा। गरहियअचित्तमक्खियदोसेणं लहइ चउलहुयं ॥ ३७॥ अगरिहसंसत्तअचित्तमक्खियंमि वि लहेइ चउलहुयं । निक्खित्तं पुढवाइसु अणंतर-परंपरं ति दुहा ॥ ३८॥ ठविए सचित्तभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणस्सह-तसेसु । चउलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरेसु कमा ॥ ३९ ॥ अइरपरंपरठविए मीसेसु य तेसुमासलहु-पणगा। अइरपरंपरठविए पणगं पत्तेयणंतबीएसु॥४०॥ सचित्तणंतकाए अणंतर-परंपरेण निक्खित्ते । चउगुरु मासगुरु कमा मीसे गुरुमास पणगाई ॥४१॥ तह गुरुअचित्तपिहियं सचित्तपिहियं च मीसपिहियं च । पिहियं तिहा अभिहियं चउगुरुयमचित्तगुरुपिहिए.॥ ४२ ॥ पिहिए सचित्तभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणसइ-तसेहिं । चउलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरेहिं कमा ॥ ४३ ॥ अइरपरंपरपिहिए मीसेहिं य तेहिं मासलहु पणगा। अइरपरंपरपिहिए पणगं पत्तेयणंतबीएहिं ॥ ४४ ॥ सच्चित्तअणंतेणं अणंतरपरंपरेण पिहियंमि। चउगुरु-मासगुरु कमा मीसेणं मासगुरु पणगा ॥४५॥ साहरिए' सजियभू-दग-सिहि-पवण-परित्तवणसइ-तसेसु । चउलहुय-मासलहुया अणंतर-परंपरपरेण कमा ॥ ४६॥ अहरतिरोसाहरिए मीसेसु उ तेसु मासलहु पणगा। अइरतिरोसाहरिए पणगं पत्तेयणंतबीएसु ॥४७॥ सचित्तअणंतेसुं अणंतर-परंपरेण साहरिए।
चउगुरु मासगुरु कमा मीसेसुं मासगुरु पणगा ॥४८॥ * 'उत्कृष्टं कालिंगाम्रवालुक्यादीनां लक्ष्णीकृतानि खंडानि अम्लिकापत्रसमुदायो वा उदूखलखण्डितस्तैर्मक्षितं पिष्टं आमतंदुलक्षोदादि ।'-इति A B टिप्पणी।
1 पृथिव्यादिषु। 2 'संहृतदोष अतिक्षिप्तसमानयोग्यत्वान्न मेदाख्यानम्'-इति B टिप्पणी।
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