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महानिशीथ - छेदसूत्रम् - १/-/४१
जे धम्मसमनु चिट्ठेज्जा सव्व-भूयऽष्पकंपि वा ॥ तस्स णं सफलं होज्जा जम्म जम्मंतरेसु वि । विउला संपय- रिद्धी य लभेज्जा सासयं सुहं ॥ सल्लमुद्धरिउ कामेणं सुपसत्ये सोहणे दिने । तिहि करण- मुहुत्त नक्खत्ते जोगे लग्गे ससी- बले ।। कायव्वाऽऽयंबिल - क्खमणं दस दिने पंचमंगलं । परिजवियब्वेऽट्ठसयं सयहा तदुवरिं अट्ठमं करे ||
अट्ठम-भत्तेण पारेत्ता काउणायंबिलं तओ । चेइय- साहूय वंदित्ता करिज्ज खंतमरिसियं ॥ जे केइ दुट्ठ संलत्ते जस्सुवरिं दु-चिंतियं । जस्स यदु कयं जेन पडिदुट्ठ वा कयं भवे ॥ तस्स सव्वरस तिविहेण वाय मनसा य कम्मुणा । नीलं सव्वभावेणं दारं मिच्छामि दुक्कडं ॥ पुणो वि वीयरागाणं पडिमाओ चेइयालए । पत्तेयं संधुणे वंदे एगग्गो भत्ति-निमरो ॥ वंदित्तु चेइए सम्म छट्टभभत्तेण परिजवे । इमं सुयदेवयं विज्रं लक्खहा चेहयालए । वसंतो सव्यभावेणं एगचित्तो सुनिच्छिओ । आउत्तो अव्ववक्खित्तो रागरइ-अरइ-वजिओ || अउम् न् अम् ओ क्ओइअ ब्उ ईण्अम्, अउम् न्अम्ओ प्अय् आ न् उ स् आ ई ण् अम्, अ उम् न्अम्ओ स् अम्भ्इ छन् अस् ओ ईण्अम् अउम् न्अम्ओ ईर् आसव्वलद्ध ईणू अम्, अइम् न्अम् ओ सव्य् ओ सहि लद्ध ईण् अ म् अउम् नू अम्ओ अक्ख्ईन् अम् अह्आन सलई ण् अम्, अउम् न् अ म् ओ भगवओ अरहओ महइ महावीरवद्धमाणस्स धम्मतित्यंकरस्स अउम् न म् ओ सव्व धम्मतित्थंकराणं अउम् न म्ओ सव्व सिद्धाणं अउम् न मूओ सव्व साहूणं अउम् नम्ओ भगवतो मइ न् आ णस्स अउम् नम्ओ भगवओ सुय न् आणस्स अउम् न्अम् ओ भगवओ ओहइन् आणस्स अउम् न् अ म् ओ भगवओ मनपज्जव न् आ णस्स अउम् न म् ओ भगवओ क् ए वल नू आ णस्स अउम् न म्ओ भगवतीए सुय दुए व्अ य् आ ए सिज्झउ म्ए सुय् आ हि वा (एसा महा) विजा अउम् न म्ओ भगवओ अउम् न म्ओ व्अम् अउम् न् अम् ओ अउम् नम्ओ आ औ अभिवत्तीलक्खणं सम्मद्दंसणं अउम् नम्ओ अट्ठआ र स् अ सूई ल् अम् ग सहस्सा हिडियस्स नई स्अम गं नूइ इ य् आ न् अ न्ई सल्ल न् इ भय सल्लगत्तण स्अ र् अन्न सव्वदुक्खनिम्भहण-परमनिव्बुइकरस्स णं पवयणस्स परमपवित्तुमस्सेति
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