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________________ १२८ महानिशीथ - छेदसूत्रम् - १/-/४१ जे धम्मसमनु चिट्ठेज्जा सव्व-भूयऽष्पकंपि वा ॥ तस्स णं सफलं होज्जा जम्म जम्मंतरेसु वि । विउला संपय- रिद्धी य लभेज्जा सासयं सुहं ॥ सल्लमुद्धरिउ कामेणं सुपसत्ये सोहणे दिने । तिहि करण- मुहुत्त नक्खत्ते जोगे लग्गे ससी- बले ।। कायव्वाऽऽयंबिल - क्खमणं दस दिने पंचमंगलं । परिजवियब्वेऽट्ठसयं सयहा तदुवरिं अट्ठमं करे || अट्ठम-भत्तेण पारेत्ता काउणायंबिलं तओ । चेइय- साहूय वंदित्ता करिज्ज खंतमरिसियं ॥ जे केइ दुट्ठ संलत्ते जस्सुवरिं दु-चिंतियं । जस्स यदु कयं जेन पडिदुट्ठ वा कयं भवे ॥ तस्स सव्वरस तिविहेण वाय मनसा य कम्मुणा । नीलं सव्वभावेणं दारं मिच्छामि दुक्कडं ॥ पुणो वि वीयरागाणं पडिमाओ चेइयालए । पत्तेयं संधुणे वंदे एगग्गो भत्ति-निमरो ॥ वंदित्तु चेइए सम्म छट्टभभत्तेण परिजवे । इमं सुयदेवयं विज्रं लक्खहा चेहयालए । वसंतो सव्यभावेणं एगचित्तो सुनिच्छिओ । आउत्तो अव्ववक्खित्तो रागरइ-अरइ-वजिओ || अउम् न् अम् ओ क्ओइअ ब्उ ईण्अम्, अउम् न्अम्ओ प्अय् आ न् उ स् आ ई ण् अम्, अ उम् न्अम्ओ स् अम्भ्इ छन् अस् ओ ईण्अम् अउम् न्अम्ओ ईर् आसव्वलद्ध ईणू अम्, अइम् न्अम् ओ सव्य् ओ सहि लद्ध ईण् अ म् अउम् नू अम्ओ अक्ख्ईन् अम् अह्आन सलई ण् अम्, अउम् न् अ म् ओ भगवओ अरहओ महइ महावीरवद्धमाणस्स धम्मतित्यंकरस्स अउम् न म् ओ सव्व धम्मतित्थंकराणं अउम् न म्ओ सव्व सिद्धाणं अउम् न मूओ सव्व साहूणं अउम् नम्ओ भगवतो मइ न् आ णस्स अउम् नम्ओ भगवओ सुय न् आणस्स अउम् न्अम् ओ भगवओ ओहइन् आणस्स अउम् न् अ म् ओ भगवओ मनपज्जव न् आ णस्स अउम् न म् ओ भगवओ क् ए वल नू आ णस्स अउम् न म्ओ भगवतीए सुय दुए व्अ य् आ ए सिज्झउ म्ए सुय् आ हि वा (एसा महा) विजा अउम् न म्ओ भगवओ अउम् न म्ओ व्अम् अउम् न् अम् ओ अउम् नम्ओ आ औ अभिवत्तीलक्खणं सम्मद्दंसणं अउम् नम्ओ अट्ठआ र स् अ सूई ल् अम् ग सहस्सा हिडियस्स नई स्अम गं नूइ इ य् आ न् अ न्ई सल्ल न् इ भय सल्लगत्तण स्अ र् अन्न सव्वदुक्खनिम्भहण-परमनिव्बुइकरस्स णं पवयणस्स परमपवित्तुमस्सेति Jain Education International For Private & Personal Use Only मू. (४२) मू. (४३) यू. (४४) पू. (४५) मू. (४६) पू. (४७) मू. (४८) मू. (४९) मू. (५०) मू. (५१) www.jainelibrary.org
SR No.003376
Book TitleAgam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages170
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 39, & agam_mahanishith
File Size4 MB
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