SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्ययनं: १, उद्देशक: १३१ मू. (८२) मू. (८३) मू. (८४) मू. (८५) मू. (८६) मू. (८७) मू. (८८) मू. (८९) आलोय-निंद-वंदियए घोर-पच्छित्त-दुक्करे। लक्खोवसग्ग-निवासे य अट्ठकवलासि केवली। हत्योसरण-निवासे य अट्ठकवलासि केवली । एग-सित्यग-पछित्तो दस-वा से केवली तहा ।। पच्छित्ताढवगे चेव पच्छित्तद्ध-कय-केवली । पच्छित्त-परिसमत्तीय अठ्ठ-स-उक्कोस-केवली ।। न सुद्धी विन पच्छित्ता ता वरं खिप्प केवली। एग काऊण पच्छित्तं बीयं न भवेजह चेव केवली ॥ तंचायरामि पच्छितं जेनागच्छइ केवली । तंचायरामि जेन तवं सफलं होइ केवली। किंपच्छित्तंचरंतोहं चिटुं नो तव-केवली। जिणाणमाणन लंघे हं पान-परिचयण-केवली ॥ अन्नं होही सरीरं मे नो बोही चेव केवली। सुलद्धमिणंसरीरेणं पाव-निड्डहण-केवली ।। अनाइ-पाव-कम्म-मलं निद्धोवेमीह केवली । बीयं तं न समायरियं पमाया केवली तहा॥ दे दे खवओ सरीरं मे निजरा भवउ केवली। सरीरस्स संजर्मसारं निक्कलंक तुं केवली॥ मनसा विखंडिए सीले पाणेनधरामि केवली । एवं वइ-काय-जोगेणंसीले रक्खे अहं केवली ॥ एवमादी अनादीया कालाओ नंते मुनी। केइ आलोयणा सिद्धे पच्छिता केइ गोयमा। खंता दंता विमुत्ता य जिइंदी सच्च-मासिणो। छक्काय-समारंभाओ विरते तिविहेण उ॥ ति-दंडासव-विरया य इत्यि-कहा-संग-वञ्जिया। इत्थी-संलाव-विरया य अंगोवंग-ऽनिरिक्खणा॥ निम्ममत्ता सरीरे विअप्पडिबद्धा महायसा । भीया च्छि-दि-गमवसहीणं बहु-दुक्खउ भवाउ तहा।। तो एरिसेण भावेणं दायव्वा आलोयणा । पच्छित्तं पिय कायव्वं तहा जहा चेवेएहिं कयं ।। न पुणो तहा आलोएयव्वं माया-डंभेण केणई। जह आलोएमाणाणांचेव-संसार-वुधी भवे ।। अनंते ऽ नाइकालाओ अत्त-कम्मेहिं दुम्मई। बहुविकल्प-कल्लोले आलोएंतो दी अहोगए। मू. (९०) मू. (९१) मू. (९३) मू. (९४) म. (९५) मू. (९६) मू. (९७) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003376
Book TitleAgam Sutra Satik 39 Mahanishith ChhedSutra 6
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages170
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 39, & agam_mahanishith
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy