________________
१२८
महानिशीथ-छेदसूत्रम् -१/-/४१
जे धम्मसमनु चिट्टेजा सब्व-भूयऽप्पकंपि वा। मू. (४२) तस्स णं सफलं होजा जम्म-जम्मंतरेसुवि।
विउला संपय-रिद्धी य लभेजा सासयं सुहं॥ मू. (४३) सल्लमुद्धरिउ-कामेणं सुपसत्थे सोहणे दिने ।
तिहि-करण-मुहुत्त नक्खत्तेजोगे लग्गे ससी-बले ॥ मू. (४४) कायव्वाऽऽयंबिल-क्खमणं दस दिने पंचमंगलं।
परिजवियव्वेऽट्ठसयं सयहा तदुवरिं अट्ठमं करे। मू. (४५)
अट्ठम-भत्तेण पारेत्ता काउणायंबिलं तओ।
चेइय-साहू य वंदित्ता करिज खंतमरिसियं॥ मू. (४६) जे केइ दुट्ठ संलत्तेजस्सुवरिंदुद्द-चिंतियं ।
जस्स य दुटु कयं जेन पडिदुट्ठ वा कयं भवे॥ मू. (१७)
तस्स सव्वस्स तिविहेण वाय मनसा य कम्मुणा।
नीसलं सव्वभावेणं दाउं मिच्छामि दुक्कडं । मू. (४८) पुणो वि वीयरागाणं पडिमाओ चेइयालए।
पत्तेयं संथुणे वंदे एगग्गो भत्ति-निब्मरो॥ मू. (४९) वंदित्तु चेइए सम्म छट्ठभभत्तेण परिजवे।
इमं सुयदेवयं विजं लक्खहा चेहयालए॥ मू. (५०) उवसंतो सव्वभावेणं एगचित्तो सुनिच्छिओ।
आउत्तो अव्ववक्खित्तो रागरइ-अरइ-वजिओ।। मू. (५१) अउम् न् अम्ओ ओ अ ब् उ छईण्अम्,
अउम् नअम्ओ अय आ न उसआरईण अम, अ उम् न्अम्ओ स्अम् भइन् अस्ओ ईण्अम् अउम् न अम् ओ ईआस व्वल द्ध ईण् अम्, अइम् अम्ओ सव्व् ओ सहि ल द्ध ईण् अम्
अउम् अम्ओ अक्खईन् अम्अ आनसलद्धईण्अम्, अउम् न् अम् ओ भगवओ अरहओमहइमहावीरवद्धमाणस्स धम्मतित्थंकरस्स अउम् नम्ओ सव्व धम्मतित्थंकराणं अउम् न म्ओ सव्व सिद्धाणं अउम् न म्ओ सव्व साहूणं अउम् नम्ओ भगवतो मइन् आणस्स अउम् नम्ओ भगवओ सुयन् आणस्स अउम् नअम्ओ भगवओ ओहइन्आणस्स अउम् न् अम् ओ भगवओ मनपज्जव न् आ णस्स अउम् न म् ओ भगवओक् एवल न्आणस्स अउम्न म्ओ भगवतीए सुय द्ए अय्आए सिज्झउम्ए सुय् आ हि वा (एसा महा) विजा अउम् न म्ओ भगवओ अउम् न म्ओ अम् अउम् न् अम् ओ अउम् नम्ओआ औ अभिवत्तीलक्खणं सम्मइंसणं अउम् नम्ओ अट्ठआरस् असईल अम्गसहस्साहिट्ठियस्स नई स्अम ग न्इ इ य् आ न् अ न्ई सल्ल न्इ भय सल्लगत्तण स्अर् अन्न सव्वदुक्खनिम्महण-परमनिव्वुइकरस्सणंपवयणस्स परमपवित्तुमस्सेति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org