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समर्पण
जिनका जीवन दान, संयम, तप, तीर्थयात्रा, तीर्थोद्धार, विनय, वैयावृत्य, सहधार्मिकोद्धार आदिमें व्यतीत हुआ;
अतः
जो हमारे लिए एक अनुपम अमर प्रेरणामूर्ति हुए,
उन पूज्यपाद, दीर्घसंयमी, तपस्वी गुरुणीजी महाराज श्री १००
श्रीवसन्तश्रीजी महाराजको उनके उपकारोंके स्मरणार्थ
सादर समर्पण
चरणसेविकाविचारश्री (शिष्या)
तथा दमयन्तीश्री (गुरुभगिनी)
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