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नवस्मरणादिसङ्ग्रहे पजसन्नितिरिनरेसु य, सहसारता सुरा य छन्निरया। अडभव सत्तमनिरया, तिरिए छभव चउ पुन्नाऊ ॥१७॥ पेजसन्निनरे छभवा, गेविजाण य चउक्कदेवा य । चउणुत्तरा चउभवा, दु जहन्न दुहा विंदु सवठ्ठा ॥१८॥ भूजलवणेसु दुभवा, दुहा वि भवणवणजोइसदुकप्पा। अमियाउ तिरिनरे तह, मिह सन्नियरतिरिसन्निनरा॥१९ भूजलपवणग्गी मिह, वणा मुवाइसुवणेसु य भुवाई। पूरंति अमंखभवे, वणा वणेसुय अणंतभवे ॥२०॥ पण पुढवाइसु विगला, विगलेसु भुवाइ विगल संखभवे। गुरुआउतिभंगे पुण, भवट्ठ सव्वत्थ दुजहन्ना ॥२१॥ मिह सनियरतिरिनरा,विगलभुवाइसु य नरतिरिसु एए अट्ठभवा चउ भंगे; दुह पवणग्गिसु नरा दुभवा॥२२॥ परतम्भवाउमाणा, इह पहु ! संवेहओऽणुबंधठिई। कित्तिउ विनविउमलं, चउभंगि जहन्नुकोसकमा ॥२३॥ इह कायठिई भमिओ, सामिय!तुह दंसणं विणा बहुसो दिहोसि संपयं ता, अकायपयसंपर्य देसु ॥२४॥
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लोकनालिद्वात्रिंशिका। जिंणदेसणे विणा जे, लोअं पूरंत जम्ममरणहिं। भमई जिंओऽणंतभवे; तस्स सरूवं किमवि वुच्छं ॥१॥ वसाहठाणठिअपयकडिस्थकरजुगनरागिई लोओ।
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पाक्तनासा
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