SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्षुल्लकभवावलिप्रकरणम् । १३१ अह थोवे खुड्डागा, इगसयमिगवीस सुअहरा बिंति । सेसंसा तत्थ इमे, बावीससया इगुणवीसा ||७|| थोवस्स उ खुड्डागा. अंसेहिं समं तु सगगुणा विहिया । पुच्चि व तओ हरिया, एगलवे हुंति खुड्डभवा ॥८॥ अडसय मेगावन्ना, नाणीहिँ लवे खुड्डुभवा दिट्ठा । असाणं तु पमाणं, चउसयमिगचत्तमन्भहिया || ९ || अह सत्तहुत्तरगुणा, विहिया एगलवखुड्डुभवअंसा । हरिया पुच्वं व तओ, हुति इगमुहुत्तखुड्डागा ॥१०॥ पणसद्विसहसपणसयछत्तीसा इगमुहुत्तखुड्डूभवा । एगोणवी सलक्खा, छासट्ठिसहस्स असिइ दिने ॥ ११ ॥ ऊसासंभवा दोसयछपन्नगुणिया तहेव तस्संसा । सगतीससयतिहुत्तर भइए ऊसास आवलिया ॥ १२ ॥ ऊसासे चउचत्तासयछायाला तहेव सेसंसा । चवीस सयडवन्ना, थोवतया सुत्ति न हि भणिया ॥ १३ ॥ इक्को य आणपाणू. चोआलीसं तहेव छायाला । आवलिअपमाणेणं, अनंतनाणीहिं निहिडो ॥ १४॥ एगूसासावलिआ, सत्तगुणा विहिय तह य तस्संसा । जाया थोवावलिया, मुहुत्तऊसासअवहरिया ॥ १५ ॥ थोवम्मि उ आवलिआ, इगतीस सहस्सइगसयछवीसा । इगवीससया चउदसअन्भहिया जाण सेसंसा ||१६|| अह थोवस्सावलिआ, तह अंसा सगगुणा उ काऊणं । पुत्र्वं व हरिय नूणं, कायव्वा इगलवावलिया ॥१७॥ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003287
Book TitleNavsmaranadisangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVicharshreeji, Damayantishreeji
PublisherNagindas Kevalshi Shah Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages258
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy