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कालसातविका। अग्गिमअराइमाणं, पुन्वअरंते इहं तु छदंते । हत्थतणु सोलवरिसाउ अन्नहुस्सप्पिणी नवरं ॥६॥ पुक्खलखीरघयामयरसमेहा वरिसिहिति पढ़मंते। भूसीयलन्ननेहोसहिरसया सत्त सत्त दिणे ॥३१॥ बीए उ पुराइकरो, जाइसरो विमलवाहण सुदामो। संगम सुपास दत्तो, सुमुहो सम्मइ कुलगर त्ति ॥६२॥ तइयाइसु उड्ढगई जिणनारयबल दुहागई चक्की। अहरगइ हरिपडिहरी, चउत्थअरयाइसु अजुअला ॥६॥ पउमाभ सूरदेवो, सुपास सयंपभ सव्वअणुभूई। देवसुअ उदय पेढिल पुहिल सयकित्ति सुवयऽममा ॥६॥ निकसाय-निप्पुलय-निमम-चित्तगुत्ता समाहि-संवरिया। जसहर विजओ मल्लो, देवोऽणंतविरि भद्दकरो ॥६६॥ सड्ढदुसय सहसा पउणचुलसिया लक्खपण छ चउपन्ना। समकोडिसहस तेणूणपलिअचउभाग पलिअद्धं ॥६६॥ पउणपलिऊण तिअयर चउ नव तीस चउपन्न इगकोडी। छन्वीससहसछावहिलक्खवासायरसऊणा ॥१७॥ नवकोडि नवइकोडी, नवसयकोडी य नबसहसकोडी। कोडिसहसनवई नव-दस-तीस-पन्नकोडिलक्खा ॥२८॥ बल-वेजयंत-अजिआ, धम्मो सुप्पह-सुदंसणा-ऽऽणंदा। नंदण-पउमा हलिणु त्ति चकिणो दीदंतो अ॥६९॥ तह गढ़दंतओ सुद्धदंत सिरिदंत सिरिभुई सोमो । पउम महपउम दसमो, विमल विमलवाहण अरिहो॥७॥
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