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सिद्धदण्डिकास्तवः। सतुंजयसिद्वा भरहवंसनिवई सुबुद्धिणा सिट्ठा। जह सगरसुआणऽट्ठावयम्मि तह कित्तिअंथुणिमो ॥२॥ आइच्चजसाइ सिवे, चउदसलक्खा य एगु सव्वढे । एवं जा इकिका, असंख इय दुगतिगाई वि ॥३॥ जा पन्नासमसंखा, तो सबटुम्मि लक्खचउदसगं। एगो सिवे तहेव य, अस्संखा जाव पन्नासं ॥४॥ तोदोलक्खामुक्खे,दुलक्ख सव्वढि मुक्खि लक्खतिगं। इय इगलवुत्तरिआ, जालक्ख असंख दोसु समा॥५॥ तो एगु सिवे सव्वहि दुन्नि ति सिवम्मि चउर सव्वतु । इय एगुत्सरवुड्ढी जाव असंखा पुढो दोसु ॥६॥ इक्को मुक्खे सव्वढि तिन्नि पण मुक्खि इअ दुरुत्तरिआ। जा दोसु वि अ असंखा, एमेव तिउत्तरा सेढी ॥७॥ विसमुत्तरसेढीए, हिटुवरि ठविअ अउणतीसतिआ। पढमे नत्थि क्खेवो, सेसेसु सया इमो खेवो ॥८॥ दुग पण नवगं तेरस, सतरस बावीस छच्च अटेव । बारस चउदस तह अडवीसा छब्बीस पणवीसा ॥९॥ एगारस तेवीसा, सीयाला सयरि सत्तहत्तरिआ। इग दुग सत्तासीई, इगहत्तरिमेव बासट्ठी ॥१०॥ अउणतरि चउवीसा, छायाला तह सयं च छन्वीसा। मेलित्तु इगंतरिआ सिद्धीए तह य सवढे ॥११॥ अंतिल्लअंकआई, ठविउं बीआइखेवगा तह य । । एवमसंखा नेआ, जा अजिअपिआ समुप्पन्नो ॥१२॥
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