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(७६) श्री वीश स्थानकनु स्तवन हारे मारे प्रणमें सरस्वती मांगुं वचन विलास जो, वोशेरे तप स्थानक महिमा गाइशं रे लोल हारे मारे प्रथम अरिहंत पद लोगस्स चोवीश जो, बीजे रे सिद्ध स्थानक पंदर भावशू रे लोल. ॥१॥ हारे मारे बीजे पवयण गणो लोगस्स पोस्तालीश जो, बोथेरे आयरियाणं छत्रोशनो सही रे लोल, हारे मारे थेरानं पद पांचमे दश उदार जो , छठे रे उवज्झायाण पचवीशनो सही रे लोल. ॥२॥ सातमे नमो लोअ. सव्व साहु सत्तवीश जो, आठमें नमो नाणस्स गंच भावशं रे लोल. हारे नवमे दरिसण सडसठ मनने उदार जो, दशमे नमो विणयस्त दश वखणीऑरे लोल, ॥३॥ हारे अग्यारमे नमो चारित्तस्स लोगस्स सत्तर जो, बारमें नमो बंभस्स नव गणो सही रे लोल, हारे किरियाण पद तेरमे वली पचवीश जो, चोदमे नमो तवस्सा बात गणो सही रे लोल ॥४॥ हारे पंदरमे नमो गोयमस्स अठ्ठावीश जो, नमो जिणाणचउवीश गणशं सोलमेरे लोल,
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