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________________ ( २ ) प्रथम अरिहंत पद आराधन विधि परम पंच परमेष्ठि मां परमेश्वर भगवान | चार निक्षेपे ध्याइ, नमो नमो श्री जिनभारा ॥ नवकारवाली ॐ नमो अरिहंताणं अ पदनी वीश गंणवी. अरिहंतपदना बार गुण होवाथी १२ खमासमण नीचे प्रमाणे गुण कहीने आपवां गुणना नाम १ श्री अशोकवृक्षप्रातिहार्यशोमिताय श्रीमदर्हते नमः २ श्री पंचवर्णजानुदध्न पुष्पप्रकारप्रातिहार्यशोभिताय श्रीमदर्हते नमः ३ श्री अतिमधुरद्रव्यमाधुय्यं तोऽपि मधुरतम दिव्यध्वनिप्रतिहार्य. शोभिताय श्रीमदर्हते नमः ४ श्री हेमरत्नजडितदण्डस्थितात्युज्ज्वलचामरयुगलवीजितव्यजन क्रियायुक्तप्रातिहार्यशोभिताय श्रीमते नमः ५ श्री सुवर्णरत्नजड़ित सदासहचारिसिंहासन सत्प्रातिहार्य शोभिताय श्रीमदर्हते नमः ६ श्री तरुणतरणितेजसोऽप्यतिंभास्करतेजोयुक्तभामंडलप्रातिहा यशोभिताय श्रीमदर्हते नमः ७ श्री आकाश स्थित दुन्दुभिप्रभृत्य ने कवादित्रवदनरूपसत्प्रा तिहा शोभिताय श्रीमदर्हते नमः ८ श्री मुक्ताजालम्बनकयुक्त छत्र त्रय सत्प्रातिहार्यशोभिताय श्री मदर्हते नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003286
Book TitleVishsthanak Tap Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherBhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra
Publication Year1979
Total Pages102
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size4 MB
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