SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७३) वंदणवसियाओ पुत्रणवत्तियाओं सक्कारवत्तियाओ सम्माणवत्तियाओ बोहिलाभवत्तियाओ, विरुवसग्गवत्तियाओ, सद्धाओ, मेहाओ, विइओ, धारणाओ अगुप्पेहाओ वदमाणीओ, ठामि काउस्सग्गं, अन्नत्थ, ऊससिओणं नोससिएणं खासिओगं छोयेनं जंभाइअणं उड्डुअणं वायुनिसग्गेणं, भमलीए पित्तमुच्छाए, सुहुमेह अंगसंचाहि सुमेहि खेल संचालह सुहमेहि दिट्ठि संचालहि अब माई अहि आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ हुज्न मे काउस्सग्गो, जाव अरिहंताणं भगवंतानं ननुक्कारेणं न पारेमि, ताव कार्य ठाणेणं मोजेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि । ( ओक नबकारनो काउस्सग्मं करवो) पारीने त्रीजी भोय कहेवी । > दोय काल पडिक्रमणं पडिलेहण, देववंनद त्रण वारजी ॥ नोकारवाली बीस गुणजे, काउस्सग्ग गुण अनुसारजी ॥ चारसो उपवास करी चित चोखे, उजमणुं करो सारजी, पडिमा भरावो संघ भक्ति करो, अ विधि शास्त्र मोझारजी ॥३॥ ( पछी सिद्धाणं बुद्धाणं कहेवुं ) सिद्धाणं बुवाणं पारयागं परंपरगयाणं; लोअग्गमुबगयागं नमो सया सुव्व सिद्धाणं । ॥। १॥ जो देवाण वि देवो जं देवा पंजलि नम्मंसंति, तं देवदेवमहिअं, सिरसा गंदे महावीरं ॥२॥ इक्कोवि नमुक्कारो, जिणवर वसहस्स वद्धमाणस्स, संसार सागराओ तारेइ नरं व नारि वा । ||३|| उज्जित सेलसिहरे, दिक् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003286
Book TitleVishsthanak Tap Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherBhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra
Publication Year1979
Total Pages102
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy