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________________ (१५) अथ अष्टम ज्ञान पद आराधन विधि. अध्यातम ज्ञाने करी; विघटे भवमभीति । सत्य धर्म ते ज्ञानछे, नमो नमो ज्ञाननी रीति ॥ आ पदनी २० नमकारवाली ॐ नमो नाणस्स ओ पदवडे गणवी, आ पदना आराधन माटे ५१ लोगस्सनो काउस्सग्ग करवो खमासमण ५१ नीचे प्रमाणे पद बोलीने आपवा. १ स्पर्शनेन्द्रियव्यंजनावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः २ रसनेन्द्रियव्यंजनावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः ३ घ्राणेन्द्रियव्यंजनावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः ४ श्रोत्रेन्द्रियव्यंजनावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नम ५ स्पर्शनेन्द्रियव्यं जनावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः ६ रसनेन्द्रियअर्थावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः ७ प्राणेन्द्रिय अर्थावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः ८ चक्षरिन्द्रिय अर्थावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः ९ श्रात्रेन्द्रिय अर्थावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः १० मनोऽर्थावग्रहाय श्रीमतिज्ञानाय नमः ११ स्पर्शनेन्द्रियइहासम्यक श्री मतिज्ञानाय नमः १२ रसनेन्द्रियइहासम्यक् श्रीमतिज्ञानाय नमः १३ प्रा०न्द्रियइहासम्यक् श्रीमतिज्ञानाय नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003286
Book TitleVishsthanak Tap Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherBhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra
Publication Year1979
Total Pages102
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size4 MB
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