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________________ अध तृतीय प्रवचन पद आराधन विधि भावामय औषघसमी, प्रवचन अमृत वृष्टि त्रिभुवन ज़नने सुखकारी जय जय प्रवचन दृद्धि आ पदनी २० नवकारवालोॐनमो पवयणस्त अम कहा गणे. आ पदना गुण १२ अथवा २७ होवाथी १२ अथवा २ लोगस्सनो काउस्गग्ग करे. खमासमण २७ नीचे प्रमा कहिने आपे. १ सर्वतःप्राणातिपातविरताय श्रीप्रवचनाय नमः २ सर्वतो मृषावादविरताय श्रीप्रवचनाय नमः ३ सर्वतोऽदत्तादानविरताय श्रीप्रबचनाय नमः ४ सर्वतो मैथुनविरताय श्रीप्रवचनाय नमः ५ सर्वतःपरिग्रहविरताय श्रीप्रवचनाय नमः ६ देशतः प्राणातिपातविरताय श्रीप्रवचनाय नमः ७ देशतो मृषावादविरताय श्रीप्रवचनाय नमः ८ देशतोऽदत्तदानविरताय श्रीप्रवचनाय नमः ९ देशतो मैंथनविरताय श्री प्रवचनाय नमः १० देशतः परिग्रहविरताय श्री प्रवचनाय नमः ११ दिशिपरिमाणवतक्ताय श्री प्रवचनाय नमः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003286
Book TitleVishsthanak Tap Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherBhuvan Bhadrankar Sahitya Prachar Kendra
Publication Year1979
Total Pages102
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size4 MB
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