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(३७) ववहार छेयसुत्तं (४) उ. ७,८
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सागरकडं गाय दो चंपि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहारं परिहरेत्तए '४७२ | २१ | सागारिए उवस्सयं वक्कएणं पउञ्जज्जा, से अवक्कइयं वएज्जा 'इमम्हि य इमम्हि य ओवासे समणा निग्गन्था परिवसंति?, से सागारिए परिहारिए, से य नो वएज्जा, वक्कइए वएज्जा-इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, से सागारिए परिहारिए, दोवि ते वएज्जा अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, दोवि ते सागारिया परिहारिया | २२| सागारिए उवस्सयं विक्किणेज्जा, से य asia - इमहिय ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्ति, से सागारिए पारिहारिए, से य नो एवं वएज्जा, कइए वएज्जा अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्धा परिवसन्तु, से सागारिए पारिहारिए, दोवि ते वएज्जा- अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, दोवि सागारिया परिहारिया | २३ | विहवधूया नायकुलवासिणी सावियावि ओग्गहं अणुन्नवेयव्वा सिया किमङ्ग पुण तप्पिया वा भाया वा पुत्ते वा ?, से य दोवि ओग्गहं ओगेण्हियव्वा | २४| पहिएवि ओग्गहं अणुन्नवेयब्वे '५१७।२५। से रज्ज (राय) परियट्टेसु संघडेसु अव्वोगडेसु अव्वोच्छिन्नेसु अपरपरिग्गहिएसु भिक्खुभावस्स अट्ठाए सच्चवे ओग्गहस्स पुब्वाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालन्दमविओग्ग हे | २६ | से य रज्जपरियट्ठेसु असंथडेसु पोगडेसु पोच्छिनैसु परपरिग्गहिएसु भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्वंपि ओग्गहे अणुन्नवेयव्वे सिया '५४५१२७ ।। सत्तमो उद्देसओ ७॥ ★★★ गाहा उदु पज्जोसविए, ताए गाहाए ताए पएसाए ताए उवासन्तराए जमिणं सेज्जासंथारगं लभेज्जा तमिणं ममेव सिया, थेरा य से अणुजाणेज्जा तस्सेव सिया, थेरा य से नो अणुजाणेज्जा एवं से कप्पर आहाराइणियाए सेज्जासंथारगं पडिग्गाहेत्तए । १ । से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे हेमन्तगिम्हासु भविस्सइ। २। से अहालहुसगं सेज्जासंघारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाह वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए एस मे वासावासासु भविस्सइ (२४४)।३। से अहालहुसगं सेज्जा० जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा चउयाहं वा पंचयाहं वा दूरमवि अद्धाणं परिवहित्त, एस मे वुड्ढावासासु भविस्सइ '९२ |४| येराणं थेरभूमिपत्ताणं कप्पइ दंडए वा भंडए वा छत्तए वा मत्तए वा लट्ठिया वा भिसिं वा चेलं वा चेलचिलिमिलिया वा चम्मे वा चम्मपलिच्छेयणए वा अविरहिए ओवासे ठवेत्ता गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा पविसित्तए वा निक्खमित्तए वा, कप्पइ से संनियट्टचारिस्स दोच्चंपि ओग्गह अणुन्नवेत्ता परिहरित्तए '९२३ | ५ | नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वापाडिहारियं वा सागारियसंतियं वा सेज्जासंथारगं दोच्चपि ओग्गहं वेत्ता बहियानीहरित्तए | ६ | कप्पइ० अणुन्नवेत्ता० । ७ नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्धीण वा पडिहारियं वा सागारियसंतियं वा संज्जासंथारगं पच्चप्पिणित्ता दोच्चंपि तमेव ओग्गहं अणणुन्नवेत्ता अहिद्वित्तए । ८ । कप्पइ० अणुन्नवेत्ता० | ९| नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पुव्वामेव ओग्गहं ओगिण्हित्ता तओ पच्चा अणुन्नवेत्तए |१०| कप्पइ निग्गन्थाण वा निरगन्थीण वा पुव्वामेव ओग्गहं अणुन्नवेत्ता तओ पच्छा ओगिण्हित्तए, अह पुण एवं जाणेज्जा - इह खलु निग्न्याण वा निग्गन्थीण वा नो सुलभे पाडिहारिए सेज्जासंथारएत्तिकट्टु एवं ण्ह कप्पइ पुव्वामेव ओग्गहं ओगिण्हित्ता तओ पच्छा अणुन्नवेत्तए, मा वहउ अज्जो 'विइयं, अणुलो अणुलोमेयव्वे सिया '१५३ | ११ | निग्गन्थस्स णं गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए अणुपविट्ठस्स अहालहुसए उवगरणजाए परिभट्ठे सिया तं च केई साहम्मिया पासेज्जा कप्पइ ण्हं से सागारकडं गहाय जत्थेव ते अन्नमन्नं पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा इमे ते अज्जो ! किं परिन्नाए ?, से य वएज्ज-परिन्नाए, तस्सेव पडिणिज्जाएयवे सिया से य वएज्जा-नो परिन्नाए, तं नो अप्पणा परिभुञ्जेज्जा, नो अन्नेसिं दावए, एगंते बहुफासुए पएसे थण्डिले पडि० पम० परिट्ठवेयव्वे सिया | १२ | निग्गन्धस्स बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खंतस्स अहालहुसए० परिट्ठवेयव्वे सिया । १३। निग्गन्थस्स ण गामाणुगामं दुइज्नमाणस्स अन्नयरे उवगरणचाए परिभट्ठे सिया तं च केई साहम्मिया पासेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय दूरमवि अद्धाणं परिवहित्तए, जत्थेव अन्नमन्नं पासेज्जा तत्थेव० परिट्ठवेयव्वे सिया '२१० |१४| कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा अइरेगपडिग्गहं अन्नमन्नस्स अट्ठाए दूरमवि अद्धाणं परिवहित्तए वा धारेत्तए वा परिहरित्तए 'सो वा णं धारेस्सइ अहं वाणं धारेस्सामि अन्नो वा णं धारेस्सइ' ना से कप्पइ तं अणापुच्छिय अणामन्तिय अन्नमन्नेसिं दाउं वा अणुप्पयाउं वा, कप्पड़ से तं आपुच्छिय आमन्तिय अन्नमन्नेसिं दाउं
चम्मको
श्री आगमगणमंजवा १४५९ FEL