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________________ G.0555555555555555 (३६) बृहद्कप्पो छेयसुत्तं (३) उ. २,३ [४] 555555555555555QExom O乐乐听听听听听听听 SIGR955555555555555555555555555555555555555 सागारियस्स परिजणो वा देइ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए ।२७। सागारियस्स पूयाभत्ते जाव अपडिहारिए तं नो सागारिओ देइ नो सागारियस्स परिजणो देइ सागारियस्स पूया देइ तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए '४४४१२८ कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा इमाइं पञ्च वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, तं जङ्गिए भङ्गिए साणए पोत्तए तिरीडपय्टे नाम पञ्चमे '४५८।२९। कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गंथीण वा इमाइं पञ्च रयहरणाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, तंजहा ओण्णिए उट्टिए साणए बद्धाचि (विप्पावि) प्पए मुञ्चचिप्पिएवि नाम पञ्चमेत्तिबेमि '४६४★★★३०॥ बिइओ उद्देसओ २॥**नो कप्पइ निग्गन्थाणं निग्गन्थीणं उवस्सयंसि आसइत्तए वा चिठ्ठित्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा निद्दाइत्तए वा पयलाइत्तए वा असणं वा० आहारं आहारेत्तए उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिङ्गाणं वा परिठ्ठवेत्तए सज्झायं वा करेत्तए झाणं वा झाइत्तए काउस्सग्गं वा करेत्तए ठाणं वा ठाइत्तए १२३ ॥११ नो कप्पइ निग्गन्थीणं निग्गन्थाणं उवस्सयंसि आसइत्तए जाव ठाणं ठाइत्तए १२६ ।रानो कप्पइ निग्गंथीणं सलोमाइंचम्माइं अहिछित्तए १४०।३। कप्पइ निग्गन्थाणं सलोमाइं चम्माई अहिछित्तए, सेवि य परिभूते नो चेव णं अपरिभूते, सेवि य पाडिहारिए नो चेव णं अपडिहारिए, सेवि य एगराइए नो चेव णं अणेगराइए १६४।४। नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा कसिणाई चम्माइं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '१९११५। कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गंथीण वा अकसिणाई चम्माइं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '१९८।६। नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा कसिणाई वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा, कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा अकसिणाई वत्थाई धारेत्तए 5 वा परिहरित्तए वा २३७।७। नो कप्पइ निग्गन्धाण वा निरगन्थीण वा अभिन्नाई वत्थाई धारेत्तए वा परिहरित्तए वा कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा भिन्नाई वत्थाइं धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '४१७1८। नो कप्पइ निग्गन्थाणं उग्गहणन्तगं वा उग्गहपट्टगं वा धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '४२२।९। कप्पइ निग्गन्थीणं उग्गहणन्तगं वा ओगाहणपट्टगं वा धारेत्तए वा परिहरित्तए वा '४६५।१०। निग्गन्थीए य गाहावइकुलं पिण्डवायपडियाए अणुप्पविठ्ठाए चेलढे समुप्पज्जेज्जा नो से 5 कप्पइ अप्पणो निस्साए चेलाइं पडिग्गाहेत्तए, कप्पइ से पवत्तिणीनिस्साए चेलाइं पडिग्गाहेत्तए, नो य से तत्थ पवत्तिणी समाणी सिया जे तत्थ समाणे आयरिए वा उवज्झाए वा पवत्ती वा थेरे वा गणी वा गणहरे वा गणावच्छेइए वा जं च णं पुरओ कट्ट विहरति कप्पइ से तन्नीसाए चेलाइं पडिग्गाहेत्तए '५०५।११। निग्गन्थस्स तप्पढमयाए संपव्वयमाणस्स कप्पइ रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए तिहि य कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, से य पुव्वोवठ्ठिए, से य पुव्वोवठ्ठिए सिया एवं से नो कप्पइ रयहरणपडिग्गहगोच्छगमायाए तिहि य कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए. कप्पइ से अहापरिग्गहियाइं वत्थाई गहाय आयाए संपव्वइत्तए '५५०।१२। निग्गन्थीए णं तप्पढमयाए संपन्वयमाणीए कप्पइ से रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए चउहिँ कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, सा य पुव्वोवठ्ठिया सिया एवं से नो कप्पइ रयहरणगोच्छगपडिग्गहमायाए चउहिँ कसिणेहिं वत्थेहिं आयाए संपव्वइत्तए, कप्पइ से अहापरिग्गहियाई वत्थाई गहाय आयाए संपव्वइत्तए "५५२।१३। नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्धीण वा पढमसमोसरणुद्देसपत्ताइ चेलाइं पडिगाहेत्तए, कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा दोच्चसमोसरणुद्देसपत्ताई चेलाइं पडिगाहेत्तए '६२४।१४। कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहाराइणियाए चेलाइ पडिगाहेत्तए '६८३।१५। कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अहाराइणियाए सेज्जासंथारयं मडिगाहेत्तए '७२९।१६। कप्पइ निग्गंथीण वा निग्गंथीण वा अहाराइणियाए किइकम्मं करेत्तए '८६९।१७। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अंतरगिहंसि चिठ्ठित्तए वा आसइत्तए वा निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा निदाइत्तए वा पयलाइत्तए वा असणं वा० आहारमाहारेत्तए उच्चारं वा० परिवेत्तए सज्झायं वा करेत्तए झाणं वा झाइत्तए काउस्सग्गं वा करेत्तए ठाणं वा ठाइत्तए, अह पुण एवं जाणेज्जा जराजुण्णे वाहिए थेरे तवस्सी दुब्बले किलन्ते जज्जरिए मुच्छेज्ज वा ॐ पवडेजज वा एवं से कप्पइ अंतरगिहंसि चिठ्ठित्तए वा जाव ठाणं वा ठाइत्तए '८८१।१८। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अंतरगिहंसि जाव चउगाहं वा म पंचगाहं वा आइक्खित्तए वा विभावित्तए वा किट्टित्तए वा पवेइत्तए वा नन्नत्थ एगनाएण वा एगवागरणेण वा एगगाहाए वा एगसिलोएण वा, सेवि य ठिच्चा, नो चेव 明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明听听听听听听$0。 De055555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - १४४४55555555555555555555555555OOK
SR No.003272
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunsagarsuri
PublisherJina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
Publication Year1999
Total Pages18
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size2 MB
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