SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४७ ) न घटे मुज रहेतुं इहां, तुं तो काढे इंद ॥ काम सखां दुःख वीसयां, वैरी हा वैद ॥ ७ ॥ एम कही सू डो उठियो नृप राख्यो कर सादि ॥ धीरोथा तुज खापी शुं, यति म घर मनमांहि ॥ ८ ॥ ॥ ढाल वीशमी ॥ तुंतो मारावालम रे गुज रातीरा ॥ ए देशी ॥ ॥ तुंतो माहारा वादला रे पंखी सूवटा, तुने विन ति करूं कर जोडी रें ॥ जीवे बे कुमर के नहीं, कांदि गांव हैयानी बोडी रे ॥१ ॥ तुं० ॥ वलतुं शुक नांखे रे राजवी, मुजमांहे नहीं कां कूड रे ॥ तुज आागल प्रथम कथा कही, तो न्याय पडी मुख धूड रें ॥ २ ॥ तुं० ॥ एटली जो कथा कह्यांथकां, मुजने तें नाप्युं राज रे ॥ तो धागल कहे गुं थाशे सही, शुं थाशे माहारां काज रे ॥ ३ ॥ तुं० ॥ कुमरी कहे ताम मदालसा, तुज पाये पहुं हुं कीर रे || मुज न पर महेर घरी करी, कर नीवेडो खीर नीर रे ॥ ४ ॥ ॥ राजन कुमरी तुमें सांजलो, कहुं सापें मश्यो कुमार रे ॥ धरणी पडियो नहीं चेतना, विष व्याप्युं अंग अपार रे ॥ ५ ॥ तुं० ॥ नामें अनंगसेना गणिका न पी, जाणे अनंगसेना साक्षात रे ॥ सद्र नरनां रे मा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003250
Book TitleUttam Charitra Kumar Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinharshsuri
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1886
Total Pages76
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy