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________________ 207 नवम् प्रकाश जिन पूजा विधि श्री जिनमन्दिर में श्री जिनेश्वर प्रभु का पूजा-दर्शन प्रत्येक साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका को प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए । साधु-साध्वी के लिए स्तोत्र, प्रतिपत्ति वन्दना भावपूजा तथा श्रावक-श्राविका के लिए द्रव्य और भाव पूजा दोनों आवश्यक है। अतः यहां पर श्रावक-श्राविका द्वारा की जाने वाली पूजा का ही स्वरूप वर्णन करेंगे। प्रभु पूजा करते समय सात प्रकार की शुद्धि परमावश्यक है अर्थात् उसमें सात वस्तुएं शुद्ध होने से हमें पूजा का पूरा फल मिल सकता है। 1. काय शुद्धि-अपना शरीर शुद्ध होना चाहिए। 2. वस्त्र शुद्धि-अपने पहनने के वस्त्र शुद्ध, पवित्र,उज्ज्वल,निर्मल होने चाहिए 3. मन शुद्धि-मन पवित्र, राग-द्वेष से रहित होना चाहिए । अर्थात् पूजा के सिवाय और किसी प्रकार के विचार मन में न होने चाहिए। 4. वचन शूद्धि-वाणी प्रिय और सत्य होनी चाहिए। संसारी बातों का त्याग होना चाहिए । तथा पूजा के पाठों का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। 5 भूमि शुद्धि-श्री जिनमन्दिर के अन्दर-बाहर और आस-पास की भूमि शुद्ध-पवित्र होनी चाहिए। 6. पूजा सामग्री शुद्धि-पूजा को वस्तुएँ-पूजा सामग्री, अंगलूहने, पाटलूहने बरतन आदि सब शुद्ध और पवित्र होने चाहिए। 7. विधि शुद्धि-पूजा की विधि अप्रमत्त भाव से, मन की एकाग्रता पूर्वक मान प्रभु के गुणों के स्मरण-चिंतन पूर्वक करनी चाहिए। 1. शरीर शुद्धि ___ दातुन पश्चिम दिशा की तरफ मुख करके करें पूर्व दिशा की तरफ मुख करके शुद्ध, निर्मल, पवित्र और छने हुए प्रमाणोपेत जल से स्नान करके शरीर स्वच्छ करें। * स्नान करने का स्थान समतल, पवित्र जीव जुंतु रहित होना चाहिए । नहाने का पानी इस प्रकार फैलाना चाहिए कि स्नानवाली भूमि जल्दी सूख जाए। जयणा (यत्ना) पूर्वक स्नान करके ऊन की कामली (लोगड़ी) पहनकर नहाने का गीला वस्त्र उतार देना, शुद्ध पवित्र धुले हुए कपड़े (तौलिए आदि) से अपने शरीर को पोंछ डालना चाहिए। सिर के दाढ़ी मूंछ के बाल तथा सारा शरीर एक दम जलरहित हो जाना चाहिए। जिस मनुष्य को स्नान करने से भी गूमड़ा (फोड़ा) घाव (जखम) वगैरह से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003237
Book TitleJain Dharm aur Jina Pratima Pujan Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1984
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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