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________________ जनमानस के ज्ञाता, आत्मजागृति के उद्गाता, सूक्ष्म तत्त्वचिन्तक, परम श्रद्धेय परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयभुवनभानुसूरीश्वरजी महाराज ने व्यवहारिक विचारधारा को जैन स्पर्श देने का सबल और सफल पुरूषार्थ किया । प्रभुशासन के अत्युत्कृष्ट सिद्धान्त प्रतिदिन के जीवन व्यवहार के विचारों के साथ मिल जाये तो सामान्य जनों के विचारों की कक्षा बढे और उस के साथ व्यक्तिगत, कौटुम्बिक, सामाजिक और राष्ट्रीय चारित्र्य का भी विकास हो । आध्यात्मिक शिक्षण शिबिर, वैराग्यवाही देशना तथा चाँदनी के उजास में लिखे प्रेरणा का प्रकाश फैलाते लेख और पुस्तकों के माध्यम से जिनशासन के सिद्धान्तों को सरल और सुपाच्य बनाकर लोगों के दिलमें बसाने का भरसक प्रयत्न किया । प्रस्तुत 'सचित्र तत्त्वज्ञान बालपोथी' में भी देव-गुरू-धर्म, ज्ञान-दर्शन-चारित्र, जीवविचार, नवतत्त्व आदि उपयोगी तत्त्वों को अत्यंत सरल तौर से समझाकर हम सब के मन और जीवनमें उतारने का प्रबल पुरुषार्थ किया है । जिनशासन के शास्त्रीय तत्त्वों को दैनिक घटती घटनाओं के चित्रों के माध्यम से समझाने का शायद यह प्रथम प्रयास होगा। तत्पश्चात् किये गये प्रयास किसी न किसी रूपमें इस पुस्तक का आधार लेकर हुए है एसी संभावना है। आज से ३२ साल पूर्व प्रकाशित हुई तृतीय आवृत्ति के बाद जो शून्यावकाश हुआ था उसे दूर करने का हमने नम्र प्रयास किया है । प्रस्तुत प्रकाशन में प.पू. वैराग्यदेशनादक्ष आचार्यदेव श्रीमद् विजयहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पू. मुनिश्री संयमबोधिविजयजी महाराज का हमें बहुत ही अच्छा मार्गदर्शन मिला है। पूज्यश्री के कल्पनाचित्रों को पुनः सजीवन करने के लिए ख्यातिप्राप्त चित्रकार विजयभाई श्रीमालीने बहुत श्रम उठाया है । प.पू. तार्किकाग्रणी आचार्यदेव श्रीमद् विजयजयसुंदरसूरिजी महाराज ने 'अनुमोदना' नामका आमुख लिखने की कृपा कर तथा परिष्कृत लेखों को अपनी शास्त्रपूत दृष्टि से संमार्जित कर पुस्तक की उपादेयता को बढा दिया है। पुस्तक प्रकाशन को शक्य बनानेवाले अनामी आर्थिक सहयोग दाताओं को कैसे भूल सकें ? सहयोगी सर्व का अंतःकरण से आभार... सम्यग्ज्ञान की अपेक्षा से बालभाव में रहे सर्व जीवों को आध्यात्मिकता की राह में अग्रसर करने में समर्थ पुस्तक के अभ्यास से सर्व जीव आत्मज्ञान का प्रकाश पाकर आत्मकल्याण को प्राप्त करें । Jain Education Internatio दिव्यदर्शन ट्रस्ट कुमारपाल वी. शाह प्रकाशकीय www.jainelibrary.org
SR No.003234
Book TitleTattvagyana Balpothi Sachitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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