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सकल तीर्थसुत्र (विश्व केतीयों कोवंदना) (भाग-2)
समेतशिखर वंदूं जिन वीश अष्टापद वंदूं चोवीश । यहां ४ विभाग हैं, (१) अशाश्वत तीर्थ, (२) विद्यविमलाचल ने गढ गीरनार आबु उपर जिनवर जहार || मान २० भगवान, (३) अनंत सिद्ध, (४) वर्तशंखेश्वर केसरियो सार, तारंगे श्री अजित जुहार ।
मान मुनि । देखो चित्र में क्रमशः समेतशिखर
अष्टापद-विमलाचल-गीरनार-आबू-शंखेश्वर-केसअंतरिक्ष वरकाणो पास, जीराउलो ने थंभण पास ||
रिया-तारंगा-अंतरीक्ष-वरकाणा-जीरावला-स्थंभन गाम नगर पुर पाटण जेह, जिनवर-चैत्य नमुं गुणगेह ।
पार्श्वनाथ भगवान के तीर्थ और मूलनायक विहरमान वंदूं जिन वीश, सिद्ध अनंत नमुं निश-दीस ||
भगवान... अढीद्वीपमा जे अणगार, अढार सहस सीलांगना धार । दूसरे पेज में बाकी बचे को १५ कर्मभूमि में गामपंच महाव्रत समिति सार, पाले पलावे पंचाचार | नगर आदि में देखना । (जैसे, 'जं किंचि' बाह्य अभ्यंतर तप उजमाल, ते मुनि वंदं गुण-मणि-माल | 'जावंत० सूत्र' में) (२) विद्यमान विचरते २० नित नित उठी कीर्ति करूं, जीव कहे भवसायर तरुं ||
भगवान ५ महाविदेह में, (३) अनंत सिद्ध भगवान सिद्धशिला पर, (४) मुनि ढाइ द्वीप में । वे १८,००० शीलांग, ५ महाव्रत, ५ समिति, ५ आचार व बाह्य-आभ्यंतर तपवाले दिखें।
मृत्यु लोक में ३२५९ मंदिर व मूर्ति ३,९१,३२० का कोष्टक
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मंदिर | बिंब मंदिर बिंब
मंदिर | बिंब नंदीश्वर ५२ ६४४८ | इषुकार | ४ ४८० | | यमकगिरि
२४०० कुंडल ___४९६ | मानुषोत्तर | ४| ४८० | मेरुचूला
६०० रुचक
। ४९६ | दिग्गज । ४० ४८०० | जंबूवृक्षादि ११७० १,४०,४०० कुंडल | ३० | ३६०० | द्रह । ९६०० । वृत्त वैताढय
२४०० देव-उत्तरकुरु १० १२०० कंचनगिरि १००० १,२०,००० विजयादि नगरीओ १६ १९२०
८० | ९६०० | महानदी ७० ८४०० गजदंता २० । २४०० दीर्घवैताढय १७० २०,४०० कुल
३२५९ ३,९१,३२० वक्खार ८० / ९६०० कुंड ३८०, ४५,६००
| २०
मेरु
७१ valica
ducation in
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