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मैं अरिहंत भगवंतों की शरण ग्रहण करता हूं, मैं सिद्ध भगवंतों की शरण ग्रहण करता हूं, मैं साधु भगवंतों की शरण ग्रहण करता हूं, मैं केवली भगवंतों द्वारा प्रकाशित धर्म की शरण ग्रहण करता हूं, मैं सभी दुष्कृत्यों की निंदा करता हूं, मैं सभी के सुकृतों की अनुमोदना करता हूं।
शयन पहले की भावना एगोऽहं णत्थि मे कोइ,
णाहमण्णस्स कस्सइ । एवं अदीणमणसो,
अप्पाण-मणुसासए । एगो मे सासओ अप्पा,
नाणदंसण-संजुओ । सेसा मे बाहिरा भावा,
सव्वे संजोग-लक्खणा ॥ संजोगमूला जीवेण,
पत्ता दुक्ख-परम्परा तम्हा संजोग-संबंधैं,
सव्वं तिविहेण वोसिरियं ॥ अरिहंतो मह-देवो,
जावज्जीवं सुसाहूणो गुरुणो जिणपण्णत्तं तत्तं,
इअ सम्मत्तं मए गहियं ॥
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