SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दीनदुखियानो तुं छे बेली, तुं छे तारणहार, तारा महिमानो नहि पार राजपाट ने वैभव छोडी, छोडी दीधो संसार तारा...१ चरणे चंडकोशियो डसियो, दूधनी धारा पगथी नीकले, विषने बदले दूध जोइने, चंडकोशियो आव्यो शरणे, चंडकोशिकने तें तारी, कीधो घणो उपकार तारा २ काने खीला ठोकया ज्यारे, थइ वेदना प्रभुने भारे, तोये प्रभुजी शांति विचारे, गोवालनो नहि वांक लगारे, क्षमा आपीने ते जीवोने, तारी दीधा संसार तारा.३ महावीर ! महावीर ! गौतम पुकारे, आंखथी आंसुनी धारा वहावे, क्यां गया एकला मूकी मुजने, हवे नथी जगमां कोइ मारे, पश्चात्ताप करतां करतां , उपन्यु केवलज्ञान ज्ञानविमल गुरुवयणे आजे, गुण तमारा गावे हरखे, थइ सुकानी' तुं प्रभु आवे, नैया भवजल पार तरावे, अरज स्वीकारो दिलमां धारो, वंदन वारं वार तारा..५ जिनोपदेश ऋतुवंती अडके नहि रे, करे नहि घरना काम जो, तेहना वांछित पूरशे ए, देवीश्री अंबिका नाम तो, हित उपदेशे हर्ष धरोए, कोइ न करशो रोस तो, कीर्ति कमला पामशो ए, जीव कहे तस शिष्य तो। तारा.४ - १. नाविक १४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003232
Book TitleAradhana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages168
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy