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की तरह पाप के ताप का शमन करता 1 सूर्य की तरह अज्ञान तिमिर को हटाता है, मेघ की तरह संसार के दावानल को शान्त करता है, अग्नि की तरह कर्मकाष्ठ को जलाकर भस्म करता है, हवा की तरह कर्म-रज को उड़ा देता है, दर्पण की तरह आत्म स्वरुप बताता है, औषधि की तरह कर्म रोग को दूर करता है, चक्षु की तरह सन्मार्ग दिखाता है, चिंतामणि रत्न की तरह सर्व मनोवांछित पूर्ण करता पूर्ण करता है, अमृत की तरह भाव रोग का निवारण करता है, जहाज की तरह भवसागर से पार उतारता है, चन्दन की तरह गुण - सुवास को प्रकट करता है ।
इस प्रकार प्रभु के अनेक गुणों का चिन्तन करने से मन की प्रसन्नता की वृद्धि होती है, जिसका आनन्द अवर्णनीय है ।
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