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(३) दायें-बायें कांडे पर तिलक
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लोकान्तिक वचने करी, वरस्या वरसीदान । कर कांडे प्रभु पूजना, पूजो भवि बहुमान ॥
प्रभु के हाथ के कांडे पर तिलक करते हुए यह भावना रखनी है कि, प्रभु ! इन हाथों से आपने एक वर्ष तक रोज १ करोड आठ लाख सोना मुहर का दान दिया, तो मुझे भी यह दानरुचि और दानशक्ति मिले, जिससे मैं भी प्रतिदिन अपनी शक्ति अनुसार दान दे सकुँ । आपकी इस कर-पूजा के प्रभाव से मुझे दान देने का मन हुआ करे । मूर्छा का रोग मिटाने का यह एक ठोस उपाय है ।
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