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उ. - उसी आम में से फीके पत्ते व उसी बबुल में से अच्छा गोंद व दांत साफ करने का दातुन भी तो पकता है न ? जिस तालाब में कमल खिलता है, उसी तालाब में कीड़े भी पैदा होते हैं न? तो अच्छे में से अच्छा ही पैदा हो, यह नियम कहाँ रहा ?
(असमानता क्यों ?
वास्तव में देखा जाय, तो आम में से आम यह तो एक प्रकार का समान शरीर हैं। इसी प्रकार यहाँ भी पिता के मानव शरीर में से मानव शरीर के रुप में समान तो पुत्र जन्मा ही है, अर्थात् आम की तरह मनुष्य के रुप में समान उत्पत्ति तो हुई ही है। अब जो विषमता है, असमानता है, वह तो गुणों की है और वे गुण शरीर के नहीं, परन्तु आत्मा के हैं । पुत्र की आत्मा और आत्मा के वे गुण पिता की आत्मा या शरीर में से उत्पन्न नहीं होते, जिससे समान ही उत्पन्न होने का प्रसंग आये ।
बेचारा लोभदेव पूर्व जन्म से ऐसी पूंजी लेकर आया है कि पिता अच्छा व सद्गुणी होने पर भी वह स्वयं लालची, मायावी, झूठा व चोर बना है। लोभ महा डाकू है। एक लोभ दूसरे कितने सारे पापों का पोषण करता है !
दिल में लोभ को प्रवेश दिया, तो समझ ही रखिये कि कई अधम पापों, चिंताओ, अनर्थो व आपत्तियों को आमंत्रण दिया !
कोणिक को राज्य का लोभ जगा, तो पिता श्रेणिक राजा के साथ कपट करके उन्हें कैद में डाला। बाद में उसे हल्ल-विहल के पास रहे हुए कुंडल व सेचनक हाथी का लोभ जगा और हल्ल - विल्ल ये चीजें न देकर चेडा महाराजा की शरण में गये । तब कोणिक ने चेडा महाराजा के साथ भयंकर युद्ध किया । कौन हैं चेडा राजा ? कोणिक के नानाजी ! कोणिक की माता चेलणा के पिताजी ! उनके साथ घोर हिंसामय युद्ध किया। लोभ कौनसा अधम कृत्य नहीं करवाता ?
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धनदेव लोभ से डरा :
जीव लोभ से ही बनता है । इसीलिये तो पूर्वकाल में समझदार धर्मी जीव इस लोभ- चंडाल का स्पर्श तक नहीं करते थे । पूजा की ढाल में यह पंक्ति आती है न ? धनदेव धरी धनमान, चित्रावेलीने परिहरी रे',
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इस धनदेव श्रावक के घर के चौक में पक्षी ने आकाश में से चित्रावेली नामक वनस्पति फेंकी । इस चित्रावेली का ऐसा प्रभाव होता है कि इसकी इंडुरी (इंढोणी) पर घी का घीयांडा (घी का बर्तन) रखकर उसमें से घी खाली किया जाय, तो घी के होज़ भर जायेंगे, परन्तु उसमें से घी खाली नहीं होगा। धनदेव उस वनस्पति को पहचानता है, परन्तु वह लोभ से घबरा गया कि 'इसका लोभ दिल में घुसाने से जीवन में पाप बढ़ जायेंगे तो ? पहला तो परिग्रह-परिमाण का व्रत टूटेगा और फिर दूसरे पापों व अनर्थों की फौज उतर पड़ी तो ?' इसीलिये उसने चित्रावेली के टुकड़े-टुकड़े कर डाले। किसी और के हाथ में,
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