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उन्हें बोओ, सींचो, पोसो तो अवसर आने पर (मौका पाकर) इन में से बड़े पेड ऊगेंगे ही । अतः शुरू से ही इन पर नियंत्रण रखना चाहिए ।
चंडसोम के द्वारा कौन मारे गये?:___ क्रोधान्ध चंडसोम ने बाहर से आये हुए स्त्री पुरूष पर जानलेवा हमला तो कर दिया पर उसे कहाँ पता है कि मैं अपने प्रियजनों की ही हत्या कर रहा हूँ । उन दोनों बेचारों पर ज्योंही प्रहार हुआ त्योंही वे चीख कर भूमि पर गिर पड़े ! वह चीख सुनकर अन्दर से पत्नी नन्दिनी तुरन्त रोशनी के साथ बाहर दौड़ आई । और चंडसोम को शस्त्र के साथ देख कर चिल्ला उठी 'अरे बेशर्म कसाई ! यह क्या किया तूने ? अपने ही प्यारे भाई-बहन को मार डाला ?
मारे जानेवाले भाई बहन कहाँ से ?:
जो मारे गये वे स्त्री पुरूष चंडसोम के भाई और बहन थे । भाई तो जल्दी नाटक देखने चला गया था। बाद में चंडसोम बहन के जिम्मे पत्नी को सोंप कर गया था; और उसके बाद बहन ने भाभी नन्दिनी से कहा था 'चलो, हम भी देखने चले ।' तब नन्दिनी ने तो चंडसोम के गुस्सैल स्वभाव के कारण इनकार ही किया था । अतः नंदिनी को छोड बहन अकेली नाटक देखने गयी थी । अब नाटक में से भाई
और बहन साथ आ रहे थे । किंतु इस मूर्ख चंडसोम ने तो क्रोध के अन्धत्व और ईर्ष्या की आग में अपनी पत्नी नंदिनी को ही नाटक देखने आयी हुई और परपुरूष से मंत्रणा करती हुई मान लिया था । अतः वह पत्नी और परपुरुष की कल्पना के आधार पर खुद को प्रिय अपने भाई-बहन को पहचाने बिना उन पर टूट पड़ा और दोनों की लाशें ढाल दी !
परन्तु अब भाई-बहन हीं मरे हैं यह जान कर क्रोध या क्रोध-कंडु (क्रोध की खुजली) की शांति-ठंडक टिक सकती है ?
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