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________________ बहन को जाना है। : यहाँ उसके जाने के बाद बहन को हुआ कि 'भाई तो खेल देखने चला गया और हम क्या घर में बन्द रहें ? हमें खेल नहीं देखना ? ' वह भाभी से कहती है - 'अरी नंदिनी ! भाई तो देखने निकल पड़ा तो चल न, हम भी देखने चलें । जीने से देखना बेहतर, हमेशा ऐसा देखने का मौका कहाँ मिलता है ?" नंदिनी ने कहा, "बहन ! तुम अपने भाई का स्वभाव नहीं जानती ? वे घर में बैठे रहने को कह कर गये हैं । अब यदि उन्हें पता लगे कि हम देखने गयीं, तो कितना क्लेश और उपद्रव मचाएँगे ?" उसने उत्तर दिया, “लेकिन हम लोग पूरा होने के पहले लौट आएँगे ।" नंदिनी ने कहा, "अरे! लेकिन यदि वे वहाँ देख लें तो ? अतः मैं तो नहीं आती। तुम्हें जाना हो तो तुम जानो । परलोक भय से विषय रंग पर काट करना : स्त्रियों के मन पर कितना अंकुश रहता है ! चाहे पुरुष के भय से ही हो शायद, लेकिन अच्छे मजेदार नाटक देखने की इच्छा छोड़ देती है, यह मन का निग्रह है । परलोक के भय से हम भी ऐसे कितने ही विषय - संग कम कर सकते हैं, विषय रंग खेलना बन्द कर सकते हैं । नंदिनी नहीं गयी, और सोमा तो चली नाटक देखने । अब इधर नाटक देखने गये हुए चंडसोम के साथ क्या अजीब बात होती है सो देखिये । ईर्ष्या, आशंका और कुकल्पनाओं के उपद्रव किस हद तक खतरनाक हो सकते हैं | चंडसोम नौंटंकी देखने गया है वहाँ लोगों की भीड नौटंकी के सामने बैठ गयी है और दूसरे बाद में आनेवाले लोग चारों ओर घेर कर खड़े हो गये है। अतः चंडसोम घूमता फिरता इनमें कहीं खड़े रहने की जगह बना लेता है । किसी स्त्री-पुरुष का बखेड़ा : वहाँ होता यह है कि चंडसोम के आगे एक स्त्री है, और वहीं पासवाला कोई पुरुष उससे धीरे से कहता है, "हे सुंदरी ! क्या ही तेरा लावण्य और होशियारी है। तू तो मेरे मन में ऐसी बस गयी है कि मुझे तेरे सपने आते हैं, परन्तु आज तक मिलना नहीं हुआ था सो आज तू प्रत्यक्ष मिल गयी । तेरे सौभाग्यगुण रुपी ईंधन ने मेरी कामाग्नि को भडका दिया है, अब वह कैसे शान्त हो ?' देखो दुनिया में काम के तुफान ! यह नाटक देखने आया है या यारी जोडने ? २१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003227
Book TitleKuvalayamala Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvanbhanusuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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