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________________ वीतराग-सर्वज्ञ-देवेन्द्रपूजित-परम सत्यवादी-त्रिभुवनभानवे नमः (7) श्री जैन-संघ की संस्थाओं का सुंदर वहिवट संबंधित प्राथमिक सावधानी अभी अभी श्री जिनमंदिर-जैन उपाश्रय आदि में चौरी-ठगबाजीविश्वासघात आदि की बातें सुनने में आती है । इस विषय में कतिपय सामान्य सावधानी अत्र सादर प्रस्तुत है :रसीद बूक कोई भी कर्मचारी वर्ग अपनी खुद ही छपवाकर उसका दुरुपयोग न करें इसलिए सावध रहेना । पैसे जमा करनेवाले की उपस्थिति में ही पावती लिखी जाय ऐसा खयाल रखें । रसीद बूक में और चेक बूक में उपर-नीचे दोनों बाजु कार्बनवाला पेपर्स (Double sided Carbon) ही इस्तेमाल किजिए, जिससे पावती/चेक की दोनों बाजु सीदा/उलटा अक्षर आ जावे । पोस्ट-रेलवे में ऐसी प्रथा होती है । पार्टी की और पेढी की दोनों रसीद पर पैसे जमा करनेवाले की सही करवाना जरुरी समजें । चेक एकाउन्ट पेयी - Accounts payee लिखना और इसके लिए परफोरेटेड पद्धति रखनी । बेन्क एकाउन्टस में पैसा जमा करने के समय ही बेन्क की पासबूक में एन्ट्री करवाना और बराबर चेक करना । अच्छे प्रामाणिक चार्टर्ड एकाउन्टन्ट द्वारा एकाउन्टस रखने की ऐसी पद्धति तय करवानी ताकी चोरी/मिस्चिफ का अवकाश ही न रहे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003225
Book TitleNabhakraj Charitra
Original Sutra AuthorMerutungacharya
AuthorGunsundarvijay
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devdravya, & Story
File Size3 MB
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