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भाग्य साहसी म
मी मनुष्य की सहायता
हायता करता है।
अप्पा कत्ता विकत्ता य सुहाण य दुहाण य।
-- उत्तराध्ययनसूत्र
मनुष्य भाग्य का
अपन।
स्वयं ही विधाता है।
- स्वामी रामतीर्थ
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