________________
DAY
जिनेष्वभक्तिर्यमिनामवज्ञा, कर्मस्वनौचित्यमधर्मसङ्गः। पित्राद्युपेक्षा परवञ्चनं च, सृजन्ति पुंसां विपदः समन्तात्।।
प्रभु के प्रति अलगाव
साधु संतो की अवज्ञा, अनुचित कार्यो एवं
अधर्म का संग मात पिता वगेरे की उपेक्षा एवं दूसरों की ठगाई... यह सभी
मनुष्य के चारों ओर भयंकर विपत्तिओं को निर्माण करती है।
53