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उसके अतिरिक्त कोई है ही नहीं। फिर जहां तुम देखोगे-आंख खोलोगे तो वही;
आंख बंद करोगे तो वही। फिर पक्षियों की चहचहाहट में और
आकाश से गुजरते हुए बादलों की गड़गड़ाहट में और वृक्षों से सरकती हुई हवाओं की ध्वनि में और
पानी के झर-झर में सब तरफ उसी की आवाज है। उसके अतिरिक्त कोई है ही नहीं।
यही आश्चर्य है कि कैसे हम उसे देखने से वंचित हैं। जो सब तरफ मौजूद है, वृक्षों की हरियाली में और जां तो जां.
आकाश की नीलिमा में और जिस्म भी रौशन है लोगों की आंखों में और
तेरी लौ से मेरा लोगों के आंसुओं में और
देखता हूं तो तेरा रूप नजर आता है मुस्कुराहटों में सब तरफ जो मौजूद है।
और सुनता हूं तो आवाज तेरी सुनता हूं मेरे बोलने में और सोचता हूं तो फकत याद तेरी आती है तुम्हारे सुनने में जो मौजूद है।
जिक्र करता हूं तो मैं जिक्र तेरा करता हूं
खामुखी मेरी तेरा नगमाए-ख्वाबीदा है ____ इधर तुम्हें घेरे हुए है।
मेरी आवाज? जो तू कहता है, मैं कहता हूं तुम जहां रहो, सदा तुम्हें घेरे हुए है। जां तो जां, जिस्म भी रौशन है तेरी लौ से मेरा और आंख बंद करो तो भीतर भी वही है। तेरे ही नूर से मै शमा सिफ्त जलता हूं भूख
लगती है तो लगती है तेरे प्यार की भूख
चरण अमृत से ही मै प्यास बुझा सकता हूं For Private & Personal Use Only
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