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संसार
कब
किसको
है
मिला
आदमी सुख की तलाश करता है, मछली को सागर कैसे दिखाई लेकिन सुख शाश्वत में ही हो सकता है। पड़े? उसी में पैदा होती है, उसी में इस सूत्र पर ध्यान करना। सुख शाश्वत लीन हो जाती है। आदमी को परमात्मा का लक्षण है। क्षणभंगुर में सुख नहीं हो कैसे दिखाई पड़े? उसी में हम पैदा होते सकता। यह जो पानी के बबूले जैसा हैं, उसी में जीते, उसी में श्वास लेते, जीवन है, इसमें तुम कितने ही भ्रम पैदा उसी में एक दिन लीन हो जाते है ! हम करो और कितने ही सपने देखो, सुख उसकी ही तरंग हैं। हम उसके ही फूल नहीं हो सकता।
से उड़ी सुवास हैं। हम उसके ही दीये। ___संसार कब किसको मिला है? की किरण हैं। भेद चाहिए दृश्य और संसार मिलता ही नहीं और मजा यह है।
' द्रष्टा में, तभी देखना हो पाता है। कोई कि संसार बड़ा पास मालूम होता है। और ।
चीज तुम्हारी आंख के बहुत करीब ले परमात्मा पास मालूम नहीं होता और मिल आई जाए, तो फिर तुम न देख सकोगे।। सकता है, क्योंकि पास है-इतना पास है. देखना आंख की क्षमता है - इतनी। पास से भी पास है ! तुम्हारे अंतरतम में बैठा करीब है कि उसको अलग कैसे रखोगे ? है; शायद इसीलिए दिखाई भी नहीं पड़ता। ऐसा ही
परमात्मा है...
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