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एक 12 कदम परमात्मा की ओर
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इस दुनिया के दुखों में रखा क्या है ? परमात्मा के समक्ष कुछ भी नहीं। और माना कि जंजीरें बहुत बड़ी हैं, लेकिन जो उस प्यारे को पुकारेगा, उसके एक नाम की चोट मजबूत से मजबूत जंजीरों को गिरा देती है। उसका सहारा मिल जाए, फिर बड़े-बड़े पहाड़ भी आदमी लांघ जाता है। सुनते हैं न कि लंगड़े भी लांघ जाते हैं; अंधे भी देखने लगते हैं, बहरे भी सुनने लगते हैं ! तुम्हारा पाप कितना ही बड़ा हो, मगर उसकी करुणा उससे बड़ी है। तुम घबराओ मत। तुम कितने ही भटके हो, उसका हाथ बहुत लंबा है। तुम कितने ही दूर निकल गए हो, उसका हाथ तुम तक पहुंच सकता है। पुकारो भर ! तुम इतने दूर नहीं जा सकते कि वह तुम्हें उठा न ले । इसलिए तो भक्तों ने कहा : भगवान के हजार हाथ हैं। एक हाथ से बचोगे, दूसरे से बचोगे, हजार से तो न बच सकोगे। वह सब तरफ से उठा लेगा, सब दिशाओं से उठा लेगा। लेकिन तब तक न उठाएगा, जब तक तुम न पुकारो । एक पुकार, एक कदम परमात्मा की ओर। जो कदम अपने आप में अपनी मंजिल लिए हुए है।
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