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परोपकार करो
MO|| परत्थकरणंच ।।
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परोपकार के समान इस जगत में कोई बड़ा पुण्य नहीं हैं। परोपकार करने से ही मानव-जीवन सफल होता है।। परोपकार से मनुष्य श्रेष्ठ बनता है। तुम्हारे पास शरीर, बुद्धि, धन, सत्ता और ज्ञान की शक्ति हो तो उसके द्वारा पर-हित का कार्य करो। दूसरे का अहित करने वाले तो बहुत हैं। परन्तु प्रत्युपकार की आशा के बिना निस्वार्थ भाव से। दूसरे का भला करने वाला कोई विरला ही होता है। जड़ जैसे गिने जाने वाले वृक्ष और नदियाँ तथा सूर्य-चन्द्र भी जीवों पर उपकार करते हैं तो जो मानव होकर भी परोपकार न करे वह मानव कैसा? दूसरों की सेवा लेने की आदत को छोड़ो। अपना काम स्वयं करना सीखो।। गुरुजनों से अपना काम न कराओ।। उपकारियों के उपकार का बदला चुकाने का प्रयत्न करते रहो।। जिस दिन परोपकार का अवसर न मिले उस दिन को निष्फल मानो। परोपकार का व्यसन रखो।। परोपकार करते हुए यदि कोई निन्दा करे तो उसकी चिन्ता न करो,nel
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