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________________ f ।। अलं प्रसन्ना हि सुखाय सन्तः ।। साधु-संतों का विनय करो साधु-र - संतों को देखते ही हाथ जोड़कर नमस्कार करो । साधु-संतों को आते हुए देखकर खड़े होकर विनय करो। वे जाते हों तो उन्हें पहुँचाने जाओ। उनकी त्याग वैराग्यमयी पवित्र वाणी सुनो। उनके गुणों की प्रशंसा और स्तुति करो। ये बहुत उपकारी हैं, ऐसा मानकर उन पर श्रद्धा रखो । cover the world उनके साथ सभ्यता से बातचीत करो । पवित्र त्यागी साधु-सन्त विश्व के श्रृंगार हैं। ये त्याग और अहिंसक जीवन के आदर्श हैं। उनकी सेवा से बहुत पुण्य बढ़ता है, पाप भाग जाते हैं उनका चित्त प्रसन्न रखो। उनको उत्तम भोजन - पानी-वस्त्र- पात्र से भक्ति करो। उनकी निन्दा या अवज्ञा कभी मत करो । उनके दोष मत देखो। उन्हें कोई असुविधा हो तो उसे दूर करो। प्रतिदिन ऐसे साधु-संतों के दर्शन-वन्दन का अवसर न चूको । पवित्र ज्ञानी साधु-संत प्रजा को सच्चा ज्ञान देने वाले हैं। Qaw Jain Education International सिधहम् व्या For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003223
Book TitleEnjoy Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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