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नया पाप न हो, इसका खयाल करता हूँ।
जं जं मणेण बब्द जं जं वाएण भासिअंपावं |
जं जं काएण कयं मिच्छामि दुक्कडं तस्स ।।
जो जो पाप मन से किया हो,
वचन से किया हो, काया से किया हो ।
तत्सम्बन्धी क्षमायाचना करता हूँ । मन से, वचन से, काया से
नया पापबन्ध न हो
इस लिये खयाल रखता हूँ और इसके लिये सदैव जागृत रहता हूँ ।
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