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यथा चन्दनं तथा जीवनम् ।। एक दिन भी जी मगर विश्वास बनकर जी। कल न बन तू जिन्दगी का आज बनकर जी।
जिन्दगी..... ऐसी बनाऊँ..
Eternal flame हमारा जीवन तो पानी के प्रवाह की तरह है... कभी-कभी हिसाब कर लेना होगा कि इतने क्षणों में कितने क्षण ऐसे हैं जो जीवन के क्षण हैं। सिर्फ जिन्दगी की लम्बाई का क्या मूल्य है? मनुष्य कैसे मरता है इसका कोई महत्त्व नहीं अपितु वह कैसे जीता है उसका महत्त्व है। मोमबत्ती की कहानी ऐसी है कि वह ज्यादा देर तो नहीं जलती परन्तु उसका थोड़ी देर तक जलना भी सार्थक है क्योंकि वह प्रकाश को फैलाकर दूसरों को भी प्रकाशित करती है... जीवन को चन्दन के पेड़ की तरह बनाना... जो वृक्ष के रूप में सुगन्ध देता है... काटने वाले को भी सुगंध देता है और रगड़ने पर भी सौरभ ही बिखेरता है।
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