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।। समाहिं अणुसंधए ।।
मेरे काम ऐसे हों
मैं ऐसे काम करूँ जिसे करके मुझे पछताना नहीं पड़े...
मैं ऐसे काम करूँ जिसे करते हुए मुझे प्रसन्नता मिले.......
मैं उतने ही काम करूँ जिससे
मेरे मन में समाधि का भाव बना रहे.......
हर काम का समय होता है
और मैं उसे समय पर कर सकूँ
अपने काम को चांद-सितारों और सूरज की तरह निःस्वार्थ बनने दूँ...
अपने काम को कभी असंभव नहीं मानूँ.....
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कर्मशील लोग शायद ही कभी उदास रहते हैं क्योंकि वे प्रसन्नता से हर काम करते हैं......
करो ना काम ऐसे कि किसी का दिल ही टूट जाये । करो तुम काम ऐसे कि सोई हुई आत्मा जाग जाये ||
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