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________________ एक बार मिस्र देश के प्रसिद्ध संत मैकेरियस से उनके एक शिष्य ने पूछा, "गुरुदेव ! कृपा करके मुझे मुक्ति का मार्ग बता दें, जिससे मैं अपने जीवन को सुखी बना सकूँ।" गुरुदेव ने अपने उस प्रिय शिष्य से नम्रता के साथ कहा, “बेटे, मुक्ति प्राप्त करने का मार्ग तो बहुत ही सरल है। तुम ऐसा करो कि पहले कब्रिस्तान में जाओ और कब्रों में जो लोग सोए पड़े हैं उनको खूब गालियाँ दो । उन पर खूब पत्थर फेंको। फिर मेरे पास आओ, मैं तुम्हें मुक्ति का मार्ग बता दूंगा।" दूसरे दिन वह गुरुजी के पास लौट आया और बोला, "गुरुदेव ! आपकी आज्ञा के अनुसार मैं सारे काम पूरे कर आया हूँ।" गुरुजी ने कहा, "तुम फिर उसी कब्रिस्तान में जाओ और इस बार उन कब्रों की खूब तारीफ करो, उन पर फूल चढ़ाओ।" - कब्रिस्तान में पहुँचकर शिष्य ने वैसा ही किया। फिर वह गुरुजी के पास लौट आया। गुरुजी ने पूछा, “अब यह बताओ कि जब तुमने उन कब्रों को बुरा-भला कहा तो उन्होंने तुमसे क्या कहा ? और जब तुमने उनकी खूब तारीफ की तो उस समय उन्होंने तुमसे क्या कहा ?" शिष्य ने नम्रता से कहा, "गुरुजी ! मुझसे तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा। वे तो उसी तरह शांत रहीं।" संत मैकेरियस ने कहा, “बेटे, बस उन्हीं कब्रों की तरह तुम भी अपना जीवन बिताओ। जो तुम्हें बुरा-भला कहे, उससे भी प्रेम से बोलो और आशीर्वाद दो। जो तुम्हारी प्रशंसा करे, उससे भी तुम प्रेम से बोलो और आशीर्वाद दो। उन कब्रों की तरह जब तुम सबके साथ एक सा व्यवहार करोगे तो तुम्हें मुक्ति का मार्ग दिखाई देने लगेगा।" मुक्ति का मार्ग 84 Jain Education Ijternational For Pria Personal Use Only niw.jainelibrary.org.
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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