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________________ विप्र वेश में कोई यक्ष एक राजसभा में जा पहुँचा वहाँ उसने सबके सामने एक पहेली रखी - पाँच मी पाँच सी, पाँच मी न सी फिर वह बोला कि मैं परसों फिर यहाँ आऊँगा । यदि तब तक किसी ने इस पहेली का उत्तर नहीं दिया तो समझ लिया जायेगा कि इस राज्य में कोई पण्डित है ही नहीं । राजा ने राजपण्डित से कहा कि यदि आप कल शाम तक इस पहेली का उत्तर नहीं खोज पाये, तो परसों प्रातःकाल ही आपका वध कर दिया जायेगा। यह पूरे राज्य की प्रतिष्ठा का सवाल है। बेचारा राजपण्डित निराश होकर किसी जंगल में जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया और विचार करने लगा। उसी पेड़ पर वही यक्ष अपनी प्रेयसी के साथ बैठा बातें कर रहा था। प्रिये ! परसों तुम्हें अवश्य ही राजपण्डित का कलेजा खाने को मिल जायेगा। मैंने पहेली ही ऐसी पूछी है कि उसका उत्तर उसे सूझेगा ही नहीं और फिर परसों उसका निश्चित ही वध कर दिया जायेगा। आपकी पहेली का अर्थ क्या है ? प्रेयसी ने पूछा। पहेली पन्द्रह तिथियों पर आधारित है। पंचमी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी ये पाँच मी वाली तिथियाँ हैं। एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णमासी ये पाँच सी वाली तिथियाँ हैं और एकम, दूज, तीज, चौथ और छठ इन पाँचों में नमी है और न ही सी। राजपण्डित ने यह सब सुन लिया। फिर वह घर चला गया। दूसरे दिन राजसभा में अर्थ बताकर उसने अपने प्राणों की रक्षा की। पहेली in Education International For Private & Personal use write 17 www.lainelibrary.org
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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