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स्वामीजी
बात उन दिनों की है, जब स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए हुए थे। सिर पर पगड़ी, कंधों पर चादर और उनके गेरुए वस्त्र अमेरिका वासियों के लिए बड़े कौतूहल की चीज थे। एक दिन जब स्वामीजी शिकागो नगर की एक मुख्य सड़क से होकर गुजर रहे थे तो एक भद्र महिला उनके वस्त्रों की ओर देखकर मुस्कुरा दी।
स्वामी विवेकानंद उसका इशारा समझ गए। उन्होंने कहा, “बहन, मेरे इन गेरुए वस्त्रों को देखकर तुम्हें आश्चर्य नहीं करना चाहिए। तुम्हारे देश में तो सज्जनता की पहचान कपड़ों से होती है; लेकिन जिस देश से मैं आया हूँ, वहाँ सज्जनता की पहचान कपड़ों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से होती है।"
सज्जनता की पहचान आदमी के कपड़ों से नहीं, गुणों से होती है।
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