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________________ सोना और पत्थर एक कंजूस के पास काफी सोना था। उसने उसे एक बक्से में भरकर खेत में गाड़ दिया। रोज रात को वह अकेला छिपकर खेत में पहुँचता, बक्सा खोदकर बाहर निकालता, सोने की अशर्फियों को टुकुर-टुकुर देखता और फिर बक्सा बंद कर वापस जमीन में गाड़ देता । एक दिन एक चोर ने उसे ऐसा करते देख लिया। जैसे ही वह किसान अपने घर की ओर मुड़ा, चोर ने बक्सा खोद निकाला। बक्से का ढक्कन खोलते ही अशर्फियों की चमक से चोर की आँखें चौंधिया गई। फौरन उसने सारी अशर्फियाँ अपने झोले में भर लीं और खाली बक्से में पत्थर भरकर पुनः उसे गाड़ दिया। दूसरे दिन रात में कंजूस जब अपने खेत पर आया तो उसने बक्सा पत्थरों से भरा पाया । उसे चक्कर आ गया। कुछ देर बाद होश आने पर वह दहाड़ें मारकर चीखने-चिल्लाने लगा। गाँव वाले उसकी आवाज सुन खेत पर दौड़े आए । जब उन्हें हकीकत का पता चला तो उनमें से एक बूढ़े किसान ने कहा - जो धन किसी के काम नहीं आता उस धन का होना, न होना बराबर है। आप के पास जो कुछ भी है, उस से परोपकार करो, जीवन धन्य हो जायेगा। Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.or 95
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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