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माँ सरस्वती
कवि: प० कमला प्रसाद मिश्रा माँ सरस्वती ह्यदय में माँ सरस्वती हँस वाहिनी, अधर में माँ सरस्वती हर गीत में, हर शब्द में साहित्य में, संगीत में
माँ सरस्वती......
सात स्वरों में ही तू है,
ज्ञान का सागर ही तू है रवि की किरण में, चन्द्र कला में
इन्द्र धनुष में ही तू है। मेरे तरानों में, मेरे विचारों में वीणा के स्वर में, तू ही विराजती
चरणों में तेरे पडा हूँ
भक्ति में तेरे रमा हूँ बालक हूँ तेरा, सर्वस्व तेरा
अर्पण है प्यार सारा आँखों की ज्योति में, नैनों की पुतली में जीवन की स्वासों में, तू ही रमती
माँ सरस्वती ह्यदय में माँ सरस्वती हँस वाहिनी, अधर में माँ सरस्वती हर गीत में, हर शब्द में साहित्य में, संगीत में
माँ सरस्वती.
The Premyoga insists upon Service to fellow - beings as
The Best Sadhana
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