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मैया मेरी ज्ञान की मूर्ति
कवियत्री: पूर्णिमा देसाई
मैया मेरी ज्ञान की मूर्ति, देती हमें मेधा शक्ति करो तुम माता का जय जय गान, जय जय गान, जय जय गान
वीणा के स्वर से साजे, मधुर मधुर तू राग सुनावे तू सात स्वरों की रानी, तू है अद्भुत महादानी तेरी महिमा हम गावें, धन्य धन्य हो जावें वेदों का हम गान करें
करो तुम माता का जय जय गान, जय जय गान, जय जय गान
तू ज्ञान विज्ञान की देवी, तूझे पूजते महारथी भी तेरी प्रभा और कान्ति की शोभा नित नित हमें दे दो मैया
तेरी हम अर्चना करते तेरे ही गुण हम गाते कर दो तुम हम पर भी कृपा
करो तुम माता का जय जय गान, जय जय गान, जय जय गान
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मैं जब जब तुझको ध्यावुं तेरे दरशन मैं पावुं तेरी आभा को पाने को तरसूं मैं पल पल तुझे मनावुं तू कितनी पावन है मैया, तू कितनी अलौकिक मैया हमें भी पावन कर दो मैया
करो तुम माता का जय जय गान, जय जय गान, जय जय गान
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कबीरदासजी के मार्मिक दोहों में से:
हीरा पडा बाजार में रहा छार लपटाय । बहुत मूरख चलि गये पारखि लिया उठाय ।।
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