________________
श्री सरस्वती स्तोत्रम्
यदक्षरं पदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत । तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि ।।
हे देवी! शब्द, पद अथवा मात्रा की किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए मझे क्षमा करें।
हे परमेश्वरी देवी, आप मुझ पर कृपादृष्टि रखें।
Salutation to Mother Saraswati Yadaksharam padam bhrashtam maatraahinam cha yadbhavate
Tatsarvam kshamyataam devi prasid parameshvari
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
**
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
*
श्री सरस्वती स्तोत्रम्
वीणाधरे विपुलमङ्गलदानशीले भक्तातिनाशिनी विरञ्चिहरीशवन्ये ।
कीर्तिप्रदेऽखिल मनोरथदे महर्हि विद्याप्रदायिनी सरस्वति नौमि नित्यम् ।।
हे वीणाधारिणी, विपुल मंगलों को देने वाली, भक्तों का दुःख दूर करने वाली ! ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव से वन्दित, कीर्तिदा, सम्पूर्ण मनोरथों को पूर्ण करने वाली, पूज्यवरा
तथा विद्यादायिनी शारदे ! मैं आपको नित्य नमस्कार करता हूँ ।
Salutation to Mother Saraswati
Vinaadhare vipulmangaladaanshile Bhaktaartinaashini viranchiharishvandye
Kirtipradekhil manorathde maharhi Vidyaapradaayini saraswati noumi nityum
41
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org