________________
श्री सरस्वती स्तोत्रम्
ब्रह्मा जगत् सृजति पालयतीन्दिरेश: शम्भुर्विनाशयति देवि तव प्रभावैः ।
न स्यात्कृपा तव यदि प्रकटप्रभावे न स्यः कथञ्चिदपि ते निजकार्यदक्षाः ।।
हे देवी! आपके प्रभाव से ही ब्रह्मा जगत की सृष्टि, विष्णु पालन तथा शंकरजी उसका
संहार करते हैं। आपकी कृप के बिना ये तीनों अपने कार्य नहीं कर सकते। सृजन, पालन और संहार तीनों के लिए ज्ञान अपेक्षित है।
Salutation to Mother Saraswati
Brahmajagat srujati paalayatindaresha Shambhurvinaashayati devi tava prabhaavaihi
Na syaatkrupaa tava yadi prakataprabhaave Na syuhu kathanchidapi te nijakaaryadakshaahaa
श्री सरस्वती स्तोत्रम्
लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिौरी तुष्टि: प्रभा धृति। एताभिः पाहि तनुभरष्टाभिर्मा सरस्वती।।
हे भगवती! आप लक्ष्मी, मेधा, धरा, पुष्टि, गौरी, तुष्टि, प्रभा तथा धृति-इन आठ शक्तियों से मेरी रक्षा करें।
Salutation to Mother Saraswati Lakshmirmedhaa dharaa pushtirgouri tushtihi prabhaa dhrutihi
Ataabhihi paahi tanubhirashtaabhirmaa saraswa
39 For Private & Personal Use Only
Jain Education Intemational
www.jainelibrary.org