________________
श्री सरस्वती स्तोत्रम्
आशासु राशीभवदगवल्ली भासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम् ।
मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दु वन्देऽरविन्दासनसुन्दरि त्वाम् ।।
हे कमलासना देवी ! आप सब दिशाओं में पूंजीभूत हैं। आप अपनी शरीररूपी लता - आभा से क्षीर समुद्र को दास बनाए हुए हैं तथा मंद मुस्कान से शरद ऋतु के चन्द्रमा को भी फीका कर रही हैं,
मैं आपकी वन्दना करता हूं।
Salutation to Mother Saraswati
Asaashaasu raashibhavadangvalli Bhaasaiva daasikrutadugdhasindhum Mandasmitairninditashaaradendum Vanderavindaasansundari tvaam
************************************************************
श्री सरस्वती स्तोत्रम्
शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे। सर्वदासर्वदाऽस्माकंसन्निधिंसन्निधिं कियात्।।
शरदकालीन कमल के समान सुन्दर तथा समस्त मनोरथों को पूर्ण करने वाली भगवती शारदा समस्त सम्पत्तियों सहित मेरे मुख में सदैव निवास करें।
Salutation to Mother Saraswati Sharadaa Sharadaambhojavadanaa vadanaambuje Sarvadaasarvadaasmaakumsannidhimsannidhimkiyaata
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org