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तीर्थ माला संग्रह अठार देशनो राज राजेश्वर, कुमार पाल नर रायाजी रे। तीरथ राजनि ठवणा थापि, जैन धर्म दिपाया ।।
सुणो भवी साजनारे ॥४॥ जात्रा महोछव नित प्रते करिई, पुण्य खजांनो भरिये जीरे। गीत ज्ञान प्रदक्षिणा धरिइं, दयानंद पद वरिई॥
सुणो भवी साजनारे ॥५॥ इति तारंगाजी तीर्थ स्तवन संपूर्ण । दोहा
दांता गांमे देहरो, जुहारू जगदोस । जोगमाया अधिष्टायिका, जय अंबा देवीस ।१।। कुंभल मेर जुहारिई, देहरा पांच रिसाल । पंच परमेष्टि समरिइ, हू वंदु त्रिण काल ।।२।। अनुक्रमे पंथे चालतां. गोला ग्रांम मझार । महावीर जीवत स्वामी जुहारिइजात्रा सफल अवतार ॥३॥ श्रीपालण पुर नगर में, पल विहा पारस नाथ ।। तिम नेमी शांति जिन वांदतां. निर्मल हू प्रो गात्र ।।४:: शिव सुख भरियें बाथ। गांमो गांमे वांदतां, देहरां दोय मझार । श्री नेमि जिनेसर वीरजी, वंदि चित्तर माड ।।५।। वरमाणे वीर वांदतां, आव्या जीरा वला पास । बावन जिनालय पेषतां, पोहती मननी आस ।।६।। हणादरा तलहटीई, जिन भुवन विस्तार ।।
मूल नायक तिहां वंदिइ, ऋषभदेव दरबार ।।७। ढाल:
सासना देवी सुहं करुरे लो, ए देशी ।। सासना देवी सुहं करुरे लो,
चउवीह संघ रयणीय वरु रे लो। भूमंडल माहे जोपतोरे लो, आबू अचलगढ दीपतोरे लो ॥१॥
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