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तीर्थ माला संग्रह
भारव्यु ते निजरे जोइ ने, ते सही करी मानो। सघला तीरथ नो नायक, गिरनार वखांणो ।।१०।। श्रीगिरिनार गिरी तणी, कही तीरथमाला । नेमनां त्रण कल्याणक जपतां जयमाला ॥१०१।। संवत अगनी सागरे, करी चंद्र ने भेलो। तापस मास नी उजली, रस ने माहे मेलो ।।१०२।। सुरगुरु वासर जांणीइ, गुरु विवेक पसाया। न्याय सागर कहे पुन्यथी, नेमना गुण गाया ॥१०३।।
इति श्री गिरनार तीर्थमाला संपूर्णः ।।
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