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निवेदन ।
प्रस्तुत पुस्तकको छपकर तय्यार हुए करीब एक वर्ष हो गया, परन्तु कई अनिवार्य कारणों से हम जनताके करकमलों में यह पुस्तक उपस्थित करने में विलम्बित हुए । इसके लिये क्षमाप्रार्थी हैं।
हम चाहते थे कि-ऐसे उत्तम ग्रंथों कर्ताकी फोटू देकर उसके द्वारा कर्ताका परिचय पाठकों से करा; परन्तु कर्ता मुनिवरने इसपर अपनी अनिच्छा प्रकटकर, अपने निप्त गुरुदेवकी शीतल छायामें बैठकर-उनकी कृपासे इस ग्रंथ का निर्माण किया है, उन्हीं स्वर्गस्थ आचार्य श्रीविनयधर्मसूरीश्वरजी महारानका फोटू देने की सम्मति देनेसे उनका फोटू इस ग्रंथमें दिया गया है।
पौष व. ५, वीर सं. २४९१ ।
धर्म सं. ३
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